Live

6/recent/ticker-posts

चंद्रा टाइम्स

चंद्रा टाइम्स

742 फर्जी प्रमाणपत्र घोटाले में सहरसा के रूपेश कुमार की गिरफ्तारी, यूपी पुलिस ने गिरोह का किया भंडाफोड़



उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) पोर्टल को हैक कर 742 फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने के मामले में यूपी पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में पुलिस ने बिहार के सहरसा जिले के डीबी रोड निवासी रूपेश कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। रूपेश इस अंतरराज्यीय साइबर गिरोह का सक्रिय सदस्य था, जो सरकारी पोर्टल हैक कर अवैध रूप से प्रमाणपत्र तैयार करता था।

गिरफ्तार किए गए अन्य दो आरोपी हैं – अभिषेक गुप्ता (लखनऊ) और धर्मेंद्र मद्धेशिया (कुशीनगर)। पुलिस के अनुसार, रूपेश और अभिषेक ने मिलकर सीआरएस पोर्टल की लॉगिन आईडी धर्मेंद्र को ₹10,000 में बेची, जिसने बाद में उन आईडी से ₹200-₹250 प्रति प्रमाणपत्र की दर से फर्जी दस्तावेज तैयार किए।

कैसे दिया जाता था वारदात को अंजाम

पुलिस जांच में यह खुलासा हुआ है कि आरोपी गूगल से सीआरएस वेबसाइट खोलकर “फॉरगेट पासवर्ड” विकल्प के जरिए मेल आईडी को रीसेट करते, और यदि वह मेल आईडी पहले से क्रिएट नहीं होती तो उस पर नया जीमेल अकाउंट बनाकर पासवर्ड रिसेट कर लेते। ओटीपी मेल पर आते ही लॉगिन कर फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र तैयार कर दिए जाते थे।

व्हाट्सएप ग्रुप से हुई दोस्ती

पूछताछ में सामने आया कि रूपेश कुमार और अभिषेक गुप्ता पहले जनसेवा केंद्र चलाते थे, इसी कारण एक व्हाट्सएप ग्रुप में दोनों की पहचान हुई। यहीं से उन्होंने सीआरएस पोर्टल हैकिंग की योजना बनाई और इसे व्यावसायिक रूप देकर फर्जी दस्तावेज तैयार करने शुरू किए।

पुलिस कार्रवाई और बरामदगी

हरदोई के एसपी नीरज कुमार जादौन के निर्देशन में गठित विशेष टीम ने बेनीगंज और टड़ियावां पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया। इनके पास से चार फर्जी प्रमाणपत्र, चार मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, और सीआरएस पोर्टल की यूजर आईडी-पासवर्ड की फोटो कॉपी बरामद की गई है। तीनों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।

बड़ा सवाल: कहां हुए इस्तेमाल?

पुलिस ने जानकारी दी कि आरोपी अब तक 30–35 फर्जी प्रमाणपत्र बनाए जाने की बात स्वीकार कर चुके हैं, लेकिन जांच में 742 फर्जी प्रमाणपत्र के जारी होने की पुष्टि हुई है। अब पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि इन दस्तावेजों का इस्तेमाल कहां और कैसे किया गया। साथ ही गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की तलाश भी जारी है।

Post a Comment

0 Comments