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चंद्रा टाइम्स

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Patna news : भ्रष्टाचार पर वार: घूसखोर लोक सेवकों के लिए नई व्यवस्था, निगरानी ब्यूरो खुद मुहैया कराएगा रिश्वत की राशि


पटना, 22 जनवरी
: बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए निगरानी ब्यूरो ने घूसखोर लोक सेवकों और सरकारी कर्मियों के खिलाफ एक नई और कारगर व्यवस्था लागू की है। अब किसी भ्रष्ट लोक सेवक को रंगे हाथ पकड़ने के लिए घूस के पैसे शिकायतकर्ता को अपनी जेब से नहीं देने होंगे। निगरानी ब्यूरो ही रिश्वत की राशि उपलब्ध कराएगा। यह व्यवस्था भ्रष्टाचारियों को दबोचने में एक बड़ा बदलाव लाने की संभावना है और शिकायतकर्ताओं को आर्थिक परेशानियों से राहत प्रदान करेगी।  

नई व्यवस्था: निगरानी ब्यूरो उठाएगा रिश्वत की राशि का भार

इस नई व्यवस्था के तहत जब कोई शिकायतकर्ता किसी लोक सेवक या सरकारी कर्मचारी के खिलाफ रिश्वत मांगने की शिकायत करता है और निगरानी ब्यूरो ट्रैप प्लान करता है, तो घूस की रकम ब्यूरो खुद उपलब्ध कराएगा। ब्यूरो के महानिदेशक जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि ट्रेजरी से इस योजना के लिए राशि का प्रबंध कर लिया गया है।  

यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि शिकायतकर्ताओं के पैसे लंबे समय तक के लिए ब्यूरो में फंसे न रहें। पहले, शिकायतकर्ता को रिश्वत की रकम खुद देनी होती थी, जिसे घूस लेते वक्त आरोपी को रंगे हाथ पकड़े जाने पर निगरानी ब्यूरो जब्त कर लेता था। इस राशि को प्रदर्श के तौर पर कोर्ट में जमा कर दिया जाता था, जो तब तक रिलीज नहीं होती थी जब तक कानूनी प्रक्रिया पूरी न हो जाए। यह प्रक्रिया लंबी होने के कारण शिकायतकर्ता की राशि महीनों या सालों तक फंसी रहती थी।  

घूसखोरी के खिलाफ बड़ा कदम

निगरानी ब्यूरो के डीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि इस नई व्यवस्था को लागू करने का उद्देश्य शिकायतकर्ताओं को सहयोग देना और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को और सशक्त बनाना है। उन्होंने कहा, "अब शिकायतकर्ताओं को अपनी जेब से पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे। इससे न केवल शिकायतकर्ताओं की वित्तीय सुरक्षा होगी, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए अधिक लोग आगे आएंगे।"  

कानून में पहले से है प्रावधान

गौरतलब है कि निगरानी ब्यूरो की यह पहल नई है, लेकिन कानून में इसका प्रावधान पहले से ही मौजूद है। हालांकि, पहली बार इसे अमल में लाया जा रहा है। इससे भ्रष्ट लोक सेवकों और कर्मचारियों पर निगरानी रखने में सहूलियत होगी। यह व्यवस्था भ्रष्टाचार के मामलों में शिकायतकर्ता को मानसिक और आर्थिक राहत प्रदान करेगी।  

पुरानी व्यवस्था से जुड़े नुकसान

पुरानी व्यवस्था के तहत रिश्वत की रकम शिकायतकर्ता द्वारा ही दी जाती थी। इस राशि को ट्रैप ऑपरेशन के बाद साक्ष्य के तौर पर निगरानी ब्यूरो में जमा कर लिया जाता था। राशि के रिलीज होने तक लंबा समय लग सकता था, क्योंकि इसे कोर्ट में प्रस्तुत करना और कानूनी प्रक्रिया पूरी करना आवश्यक था। इस प्रक्रिया में शिकायतकर्ताओं को आर्थिक नुकसान और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता था।  

नई व्यवस्था से उम्मीदें

इस नई पहल के जरिए निगरानी ब्यूरो भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए और अधिक प्रभावी हो सकेगा। अब शिकायतकर्ताओं को किसी आर्थिक हानि का डर नहीं होगा, जिससे वे बेझिझक भ्रष्टाचार की शिकायत कर सकेंगे। साथ ही, यह कदम पारदर्शिता और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।  

भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति

बिहार सरकार और निगरानी ब्यूरो ने इस कदम से यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। नई व्यवस्था से उम्मीद है कि भ्रष्ट लोक सेवकों के खिलाफ शिकायतें बढ़ेंगी और ऐसे अपराधियों को कानूनी शिकंजे में लाना आसान होगा।  

यह पहल न केवल शिकायतकर्ताओं को सशक्त बनाएगी, बल्कि जनता को यह संदेश भी देगी कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार और प्रशासन गंभीर है। निगरानी ब्यूरो के इस कदम से राज्य में ईमानदार प्रशासन की ओर एक बड़ा कदम उठाया गया है।

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