Live

6/recent/ticker-posts

चंद्रा टाइम्स

चंद्रा टाइम्स

Saharsa : “ओवरब्रिज मैन” सोहन झा : सहरसा की जिद और जुनून की कहानी



जरा सोचिए… अपने जीवन के करीब दस साल सिर्फ एक सपना पूरा करने के लिए लगा देना। सपना यह कि – “हमारा शहर जाम से मुक्त हो, हमारी आने वाली पीढ़ियाँ आसानी से सांस ले सकें, हमारा सहरसा एक सुंदर और प्रगतिशील शहर बने।”

एक-दो महीनों का आंदोलन करना तो आसान है, लेकिन पूरे **दस साल तक संघर्ष की आग में जलते रहना, हर दिन सड़क पर उतरना और हार न मानना – यह काम किसी आम इंसान के लिए नामुमकिन था। लेकिन यह कहानी आम नहीं, यह कहानी है सहरसा के युवा सोहन झा की।

दशरथ माँझी की राह पर सोहन झा

बिहार में दशरथ माँझी को पूरी दुनिया जानती है, जिन्होंने हथौड़े-छेनी से पहाड़ काटकर सड़क बनाई थी और “माउंटेन मैन” कहलाए। अब सहरसा के लोग कहते हैं कि सोहन झा वही शख्सियत हैं, जो बंगाली बाजार ढाला ओवरब्रिज के लिए दस साल से लड़ते रहे और “ओवरब्रिज मैन” के नाम से याद किए जाएंगे।

संघर्ष की आग, आंदोलन की आँच

दस साल पहले शुरू हुआ यह संघर्ष धरना और प्रदर्शन से आगे बढ़ा। पैदल मार्च, आक्रोश मार्च, नेताओं का आवास घेराव, बाजार बंद, चक्का जाम, आमरण अनशन… यहाँ तक कि रेल चक्का जाम तक हुआ।
केंद्र सरकार से राशि और एनओसी मिलने के बाद जब कुछ जनप्रतिनिधियों ने प्रक्रिया अटकानी चाही, तब सोहन झा पटना पहुंचे और राजधानी की सड़कों पर संघर्ष को बिहार का आंदोलन बना दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन को ज्ञापन सौंपा और लाखों हस्ताक्षर राज्यपाल व मुख्यमंत्री तक पहुँचाए।

सपना साकार, लेकिन सफर जारी

आखिरकार वर्षों की मेहनत रंग लाई और ओवरब्रिज निर्माण की राह साफ हुई। प्रेस कॉन्फ्रेंस में भावुक सोहन झा ने कहा –

“मुझे इस संघर्ष का श्रेय नहीं चाहिए, बल्कि सहरसावासियों का आशीर्वाद चाहिए ताकि आगे भी अपने जिले के विकास की लड़ाई लड़ सकूँ।”

उन्होंने साफ कहा कि ओवरब्रिज उनकी आख़िरी लड़ाई नहीं है। अब उनका सपना है कि सहरसा बिहार का सबसे सुंदर और प्रगतिशील जिला बने।


यह कहानी सिर्फ एक ओवरब्रिज की नहीं है, यह उस जिद, जुनून और संघर्ष की दास्तान है, जो आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाएगी कि सपनों को साकार करने के लिए अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।


Post a Comment

0 Comments