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चंद्रा टाइम्स

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आज है नरक निवारण चतुर्दशी, भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष दिन है आज



सहरसा : भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तिथि, नरक निवारण चतुर्दशी व्रत, इस वर्ष 28 जनवरी, मंगलवार को मनाई जाएगी। "ब्रज किशोर ज्योतिष संस्थान" के संस्थापक और प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा के अनुसार, माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व है। इसे नरक निवारण चतुर्दशी के रूप में जाना जाता है और इस व्रत को करने से आयु में वृद्धि, सिद्धियों की प्राप्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

व्रत का महत्व और पूजा विधि

पंडित तरुण झा ने बताया कि मिथिला क्षेत्र में इस व्रत को हर आयु वर्ग के लोग रखते हैं। इस दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक उपवास रखा जाता है। मिथिला विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार, व्रत का पारण संध्या 7:21 बजे के बाद करना शुभ माना गया है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से की जाती है, और बेर का प्रसाद अर्पित करने का विधान है। इस प्रसाद से ही व्रत तोड़ा जाता है।

पुराणों के अनुसार, इस दिन भगवान शिव का ध्यान करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। रुद्राभिषेक और शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करना अत्यंत फलदायक होता है। साथ ही, "ॐ नमः शिवाय" का जाप करना भक्तों के लिए कल्याणकारी और शुभ माना गया है।

इस तिथि का पौराणिक महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जगतजननी माता पार्वती और देवाधिदेव महादेव का विवाह तय हुआ था। इसके ठीक एक महीने बाद, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। यही कारण है कि इस तिथि को शिवभक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

पंडित तरुण झा ने बताया कि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी भगवान शिव की पूजा के लिए उत्तम मानी जाती है, लेकिन माघ और फाल्गुन मास की चतुर्दशी का विशेष महत्व है। इसे शिवरात्रि के समकक्ष माना जाता है। इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की भी पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

पूजा का महत्व और विधि

इस दिन विधि-विधान से पूजा करने का विशेष महत्व है। भगवान शिव को बेलपत्र, बेर, गंगाजल और दूध अर्पित करना अनिवार्य माना गया है। इसके अतिरिक्त, भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

पंडित तरुण झा ने सुझाव दिया है कि भक्तों को इस दिन ध्यान और जाप पर विशेष ध्यान देना चाहिए। "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप शिवभक्तों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। उन्होंने कहा कि बेर का प्रसाद भगवान को अर्पित करने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए।

मिथिला क्षेत्र में उत्साह

मिथिला क्षेत्र में नरक निवारण चतुर्दशी का उत्साह हर वर्ष देखने लायक होता है। इस व्रत को लेकर विशेष तैयारियां की जाती हैं। मंदिरों में शिवभक्तों की भीड़ उमड़ती है, और रुद्राभिषेक व विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है। इस व्रत के प्रति बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों में समान उत्साह देखा जाता है।

शिवभक्तों के लिए संदेश

ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा ने इस अवसर पर सभी शिवभक्तों को संदेश दिया है कि वे इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना और उपवास करें। यह न केवल शारीरिक और मानसिक शुद्धि लाता है, बल्कि भक्तों को उनके सभी दुखों और परेशानियों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।

उन्होंने कहा, "शिव ही कल्याण के देवता हैं, और उनकी कृपा से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान संभव है। नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत हर भक्त को करना चाहिए और इस शुभ अवसर पर भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए।"

निष्कर्ष

नरक निवारण चतुर्दशी व्रत न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, मनोकामनाओं की पूर्ति और शिव कृपा प्राप्त करने का माध्यम है। इस पावन तिथि पर भगवान भोलेनाथ की पूजा और रुद्राभिषेक करके सभी भक्त अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं।

इस दिन "ॐ नमः शिवाय" के जाप और भगवान शिव की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का अनुभव किया जा सकता है। शिवभक्तों के लिए यह तिथि एक अनमोल अवसर है, जिसे पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए।

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