बिहार की कला-संस्कृति को नई दिशा देने के उद्देश्य से कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के अंतर्गत बिहार ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित द्वितीय राज्य स्तरीय कला प्रदर्शनी 2024-2025 का भव्य उद्घाटन शुक्रवार को पटना में संपन्न हुआ। इस प्रदर्शनी का शुभारंभ विभाग के मंत्री मोती लाल प्रसाद ने किया। राज्यभर से चुनी गई विविध कलाओं की 118 उत्कृष्ट कृतियाँ इस आयोजन में प्रदर्शित की गई हैं, जिनमें लोककला, चित्रकला, मूर्तिकला, फोटोग्राफी, रेखांकन और ग्राफिक्स जैसे माध्यम शामिल हैं। यह प्रदर्शनी 18 अप्रैल से 8 मई 2025 तक बिहार ललित कला अकादमी, पटना में लगी रहेगी, जिसे देखने के लिए कला प्रेमियों की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है।
इस प्रतिष्ठित कला प्रदर्शनी में बिहार के सहरसा जिले के लिए गर्व का क्षण तब आया, जब चैनपुर, सहरसा की अर्चना मिश्रा की मिथिला लोककला को चयनित कृतियों में शामिल किया गया। अर्चना मिश्रा, जो जाने-माने शिक्षक मनोज कुमार मिश्रा की सुपुत्री हैं, पिछले दस वर्षों से कला के क्षेत्र में सक्रिय हैं और लगातार अपनी प्रतिभा से विभिन्न मंचों पर जिले और राज्य का नाम रौशन कर रही हैं। मिथिला पेंटिंग में गहरी अभिरुचि रखने वाली अर्चना की कलाकृतियाँ पहले भी बिहार ललित कला अकादमी, पटना और ललित कला अकादमी, दिल्ली जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं में प्रदर्शित हो चुकी हैं।
अर्चना की कला यात्रा बचपन से ही शुरू हो गई थी। पेंटिंग में उनकी गहरी रुचि और लगन ने उन्हें इस क्षेत्र में विशेष पहचान दिलाई है। उन्होंने शैक्षणिक रूप से भी अपनी कला को मजबूती प्रदान की है—गणित विषय से स्नातकोत्तर करने के साथ-साथ उन्होंने प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ से पेंटिंग में भी स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की है। उनका यह समर्पण और शैक्षणिक परिश्रम आज उनकी कला में स्पष्ट झलकता है।
अर्चना मिश्रा की पेंटिंग्स न केवल पारंपरिक मिथिला शैली में परिपूर्ण हैं, बल्कि उन्होंने डिजिटल पेंटिंग के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य किया है। उनके द्वारा तैयार किया गया रामायण पर आधारित डिजिटल पेंटिंग सीरीज, जो एक कैलेंडर के रूप में प्रकाशित हुआ है, दर्शकों और समीक्षकों से काफी सराहना प्राप्त कर चुका है। उनके कला के प्रति समर्पण और नए प्रयोगों के प्रति झुकाव उन्हें समकालीन लोक कलाकारों में एक अलग स्थान दिलाता है।
अपने अनुभव साझा करते हुए अर्चना कहती हैं कि वे एक कलाकार के तौर पर सदैव अपना श्रेष्ठ देने का प्रयास करती हैं और हर कृति के माध्यम से समाज और संस्कृति के किसी न किसी पक्ष को उकेरने की कोशिश करती हैं। उनका सपना है कि जैसे मधुबनी और दरभंगा मिथिला पेंटिंग के लिए विश्वविख्यात हैं, उसी तरह सहरसा भी इस विधा में अपनी खास पहचान बनाए और यहां के कलाकार भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय पुरस्कार और पद्मश्री जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजे जाएं।
वर्तमान में फरीदाबाद में निवास कर रहीं अर्चना अपनी इस प्रेरणादायक कला यात्रा का श्रेय अपने माता-पिता के साथ-साथ अपने जीवनसाथी आकाश भारद्वाज, सास किरन चौधरी और ससुर अनिल चौधरी को देती हैं। वे मानती हैं कि एक स्त्री के जीवन में विवाह के बाद उसका जीवनसाथी और ससुराल परिवार यदि सहयोगी और प्रेरणास्रोत हो, तो वह अपने सपनों को और मजबूती से साकार कर सकती है। उन्होंने कहा कि परिवार के सहयोग और विश्वास ने ही उन्हें आज इस मुकाम तक पहुँचाया है और वे इसी समर्थन के साथ आगे भी अपने जिले और राज्य का नाम रोशन करती रहेंगी।
अर्चना मिश्रा की यह उपलब्धि न केवल सहरसा बल्कि पूरे बिहार के लिए गौरव का विषय है। उनकी कला और सोच आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है, और यह प्रमाणित करती है कि प्रतिबद्धता, परिश्रम और पारिवारिक सहयोग से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।
.jpg)
.jpg)
0 Comments