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चंद्रा टाइम्स

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Saharsa News : सहरसा में लाइट ओवरब्रिज का निर्माण कार्य ठप! कब होगा पूरा? जानिए पूरी कहानी




सहरसा से रिपोर्ट | विशेष संवाददाता

सहरसा वासियों को जाम से राहत दिलाने का सपना अधूरा रह गया है, क्योंकि शहर के बहुप्रतीक्षित लाइट ओवरब्रिज का निर्माण कार्य एक बार फिर अटका पड़ा है। यह ओवरब्रिज गंगजला रेलवे ढाला (फाटक संख्या 32) पर बन रहा है, जिसकी लंबाई 135 मीटर और चौड़ाई 11 फीट है। जनवरी 2024 में इस निर्माण की शुरुआत की गई थी और उम्मीद जताई जा रही थी कि यह परियोजना जल्द ही पूरी हो जाएगी। लेकिन अब यह सवाल हर सहरसा निवासी के ज़हन में है – आखिर कार्य बीच में क्यों रुक गया?

क्या है लाइट ओवरब्रिज की महत्ता?

शहर में रोजाना लगने वाले ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के लिए यह लाइट ओवरब्रिज किसी वरदान से कम नहीं माना जा रहा था। खासकर स्कूली बच्चों, कार्यालय जाने वाले कर्मचारियों और व्यापारियों के लिए यह सुविधा बेहद उपयोगी होती। रेलवे फाटक संख्या 32 पर जब ट्रेन गुजरती है, तो दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं। इस परेशानी से छुटकारा दिलाने के लिए ही इस ओवरब्रिज का निर्माण 4 करोड़ 44 लाख रुपये की लागत से शुरू किया गया।



निर्माण कार्य पर क्यों लगा ब्रेक?

प्रोजेक्ट की शुरुआत तो ज़ोर-शोर से हुई, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, निर्माण कार्य धीमा होता गया और अब लगभग पूरी तरह से ठप पड़ गया है। सूत्रों के अनुसार, निर्माण में सबसे बड़ी अड़चन बिजली विभाग और रेलवे विभाग के समन्वय की कमी बनकर सामने आई है।

रेलवे विभाग ने बिजली विभाग से आग्रह किया था कि ओवरब्रिज निर्माण के रास्ते में आ रहे बिजली के खंभों को हटाया जाए और 11,000 वोल्ट के तारों को अंडरग्राउंड किया जाए। इसके लिए बिजली विभाग ने लगभग 6 से 7 लाख रुपये का स्टीमेट जारी किया। खबरों के अनुसार, रेलवे विभाग ने यह राशि जमा भी कर दी है। इसके बावजूद अभी तक न तो बिजली खंभे हटे हैं, न ही अंडरग्राउंड वायरिंग का काम शुरू हुआ है।


प्लानिंग में हुई भारी चूक?

यहां सबसे बड़ा सवाल यही उठता है – क्या इस समस्या के बारे में पहले नहीं सोचा गया था? जब जनवरी 2024 में निर्माण कार्य की शुरुआत हुई, तो क्या बिजली के खंभे और तार नजर नहीं आए? अब जब ओवरब्रिज की ढलाई की तैयारी हो चुकी थी, तब जाकर यह तकनीकी बाधा सामने आई। यह साफ संकेत करता है कि प्रोजेक्ट प्लानिंग में गंभीर चूक हुई है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते बिजली विभाग से समन्वय स्थापित कर लिया गया होता, तो आज यह स्थिति न बनती। वहीं, शहर के कई पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने समय रहते इस मुद्दे को उजागर किया, जिससे समस्या सामने आई और कार्य रुकने से पहले जनचेतना बनी।



आगे क्या?

अब सबसे बड़ा सवाल है – कब तक फिर से काम शुरू होगा और ओवरब्रिज कब तक बनकर तैयार होगा? फिलहाल किसी भी संबंधित विभाग की ओर से कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं दी गई है। हालांकि, रेलवे और बिजली विभाग के बीच बातचीत जारी है, लेकिन जब तक जमीन पर कार्य शुरू नहीं होता, तब तक शहरवासियों को यह सपना अधूरा ही नजर आएगा।

निष्कर्ष

सहरसा के विकास के लिए लाइट ओवरब्रिज जैसी परियोजनाएं बेहद जरूरी हैं, लेकिन सही प्लानिंग और विभागीय समन्वय के अभाव में ये परियोजनाएं अक्सर अधूरी रह जाती हैं। जनता को केवल वादे नहीं, ठोस परिणाम चाहिए। सवाल अब सिर्फ ओवरब्रिज का नहीं, बल्कि उस सोच और सिस्टम का है जो विकास को गति नहीं, बल्कि बाधा देता है।

शहरवासी उम्मीद कर रहे हैं कि संबंधित अधिकारी जल्द से जल्द इस मामले को गंभीरता से लेते हुए निर्माण कार्य को दोबारा शुरू कराएं ताकि सहरसा की सड़कें भी "जाम मुक्त" कहलाएं।

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