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चंद्रा टाइम्स

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बिखरता इतिहास: सोनवर्षा राज का राजमहल अब भूसे का ढेर, आंखें नम कर देने वाली हकीकत - Sonbarsha Raj Saharsa



जहां कभी गूंजती थी शहनाइयाँ, आज वहां पसरा है सन्नाटा और उदासी

सोनवर्षा राज, सहरसा | भावनात्मक विशेष रिपोर्ट

कभी जहां ऐश्वर्य की कहानियाँ गूंजती थीं, जहां दरबार सजते थे और जहां से कभी राज चलता था—वह भव्य राजमहल आज खंडहर बन चुका है। सोनवर्षा राज का ऐतिहासिक राजमहल, जो एक ज़माने में इस इलाके की आन-बान-शान हुआ करता था, आज गुमनामी और उपेक्षा की चादर ओढ़े, अपने ही अतीत पर आंसू बहा रहा है।

जब कोई इस महल की टूटी दीवारों और उखड़ती छतों को देखता है, तो दिल एक टीस के साथ भर आता है। वहां खड़े होकर लगता है मानो ये दीवारें कुछ कहना चाहती हों—किसी को पुकारना चाहती हों कि "बचा लो हमें, हमारी कहानी अधूरी रह जाएगी।"



आज यही राजमहल बन चुका है 'भुसैला'—भूसा रखने का एक गंदा कोना।
जहां एक समय पर रानियाँ अपनी चूड़ियों की खनक से आंगन गूंजाती थीं, अब वहां सूखे भूसे की बदबू और वीरानी का साया छाया है। एक समय की भव्य छतों से अब सिर्फ धूल झरती है, और खिड़कियों से झांकता है सन्नाटा।

जो लोग कभी इस महल की भव्यता को देख चुके हैं, आज जब वे उसे इस हालत में देखते हैं तो उनकी आंखें नम हो जाती हैं।
“ऐसा लगता है जैसे किसी बुजुर्ग को तड़पते हुए छोड़ दिया गया हो, जिसे कोई पूछने वाला नहीं,” एक बुजुर्ग स्थानीय निवासी की आंखों से बहते आंसुओं ने शब्दों को भी पीछे छोड़ दिया।




इतिहासकारों और स्थानीय जनता की एक ही गुहार है—सरकार जागे, इससे पहले कि यह अमूल्य विरासत हमेशा के लिए मिट जाए।
ये सिर्फ पत्थर और ईंटें नहीं हैं, ये हमारी पहचान, हमारी जड़ें और हमारी अस्मिता हैं।

क्या सरकार कभी सुनेगी इस खंडहर की करुण पुकार?
या इतिहास की यह शान यूँ ही गुमनामी में खो जाएगी...?

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