मधेपुरा जिले के उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत पुरैनी थाना क्षेत्र से अपहृत 11 वर्षीय मासूम मु. खालिद को पुलिस ने महज पांच घंटे के भीतर बेगूसराय के बरौनी जंक्शन से सकुशल बरामद कर लिया। इस सनसनीखेज मामले में पुलिस ने षड्यंत्रकर्ता चाचा मु. दाउद और उनके पुत्र मु. इमरान को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि मुख्य अपहरणकर्ता अब भी फरार है, जिसकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है।
घटना 10 जुलाई की है, जब पुरैनी बाजार के वार्ड संख्या चार निवासी मु. आजाद उर्फ आजाद आलम का पुत्र मु. खालिद स्कूल से पढ़ाई कर घर लौट रहा था। उसी दौरान रास्ते में उसका अपहरण कर लिया गया। जब देर शाम तक खालिद घर नहीं पहुंचा, तो परिवार वालों ने उसकी frantic खोजबीन शुरू कर दी। संदेह के आधार पर उन्होंने अपहरण की आशंका जताते हुए पुरैनी थाना में मामला दर्ज कराया।
सूचना मिलते ही मधेपुरा एसपी संदीप सिंह ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एसडीपीओ अविनाश कुमार के नेतृत्व में विशेष टीम का गठन किया। गठित टीम ने मानवीय सूझबूझ और तकनीकी निगरानी के सहारे छानबीन शुरू की और महज पांच घंटे के भीतर बच्चे को बरौनी जंक्शन से सकुशल बरामद कर लिया।
पुलिस पूछताछ में खालिद ने चौंकाने वाले खुलासे किए। उसने बताया कि उसके ही चाचा मु. दाउद और चचेरे भाई मु. इमरान ने बहला-फुसलाकर पहले उसे चौसा जाने वाली बस में बैठाया, फिर नवगछिया रेलवे स्टेशन लेकर गए। वहां से एक ट्रेन में बैठाकर उसे अन्यत्र ले जाया गया। हालांकि पुलिस की सतर्कता और तत्परता से बच्चे को किसी प्रकार की क्षति पहुंचने से पहले ही बरौनी जंक्शन से खोज निकाला गया।
गिरफ्तार आरोपितों से पूछताछ जारी है। हालांकि अपहरण की ठोस वजह सामने नहीं आई है। एसडीपीओ अविनाश कुमार ने बताया कि फिरौती की कोई मांग नहीं की गई थी और अब तक की जांच में आर्थिक उद्देश्य की पुष्टि नहीं हुई है। पुलिस फिलहाल सभी संभावित पहलुओं की जांच कर रही है।
गिरफ्तार किए गए षड्यंत्रकर्ता मु. दाउद और उनके बेटे मु. इमरान को न्यायिक हिरासत में भेजा जा रहा है। साथ ही इनके आपराधिक इतिहास को खंगाला जा रहा है। पुलिस अन्य फरार आरोपित की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही है।
इस सफल ऑपरेशन में पुरैनी थानाध्यक्ष राघव शरण, दरोगा शंभू कुमार, डीआईयू मधेपुरा, थाना के अन्य पदाधिकारी, पुलिसकर्मी और चौकीदार की अहम भूमिका रही। प्रशासन ने आम जनता से अपील की है कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें, ताकि इस प्रकार की घटनाओं पर समय रहते रोक लगाई जा सके।
यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि पुलिस की सक्रियता और तत्परता से बड़ी से बड़ी साजिश भी नाकाम की जा सकती है। वहीं समाज के भीतर पारिवारिक रिश्तों में बढ़ती कलुषता भी चिंता का विषय बनती जा रही है
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