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चंद्रा टाइम्स

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2025 में बदला सहरसा का चेहरा, विकास ने रचा नया इतिहास



साल 2025 अब अपने अंतिम दौर में है, लेकिन यह वर्ष सहरसा के इतिहास में विकास के एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा। इस एक साल में सहरसा ने जो बदलाव देखा, उसने शहर की पहचान को नई दिशा दी और आम लोगों के जीवन को सीधे तौर पर बेहतर बनाया।

जिलाधिकारी दीपेश कुमार के नेतृत्व में प्रशासनिक स्तर पर विकास कार्यों को नई गति मिली। उनके कार्यकाल में ग्लास ब्रिज और ओवरब्रिज जैसे आधुनिक प्रोजेक्ट्स सहरसा की शान बने, जिससे न सिर्फ यातायात व्यवस्था मजबूत हुई बल्कि शहर को एक आधुनिक स्वरूप भी मिला। पूर्व विधायक आलोक रंजन के कार्यकाल में शुरू हुए कई विकास कार्यों का असर 2025 में स्पष्ट रूप से नजर आया, जो आज शहर की स्थायी पहचान बन चुके हैं।

मेयर बेनप्रिया के प्रयासों से सहरसा की तस्वीर खासतौर पर रात के समय बदल गई। बेहतर स्ट्रीट लाइटिंग और सौंदर्यीकरण के कारण शहर जगमगाता नजर आने लगा। बंद पड़े संजय गांधी उद्यान का विकास होकर नए रूप में सामने आना भी इसी वर्ष की बड़ी उपलब्धि रही, जिसने लोगों को सुकून और मनोरंजन का एक नया सार्वजनिक स्थान दिया।

सांसद दिनेश चंद्र यादव द्वारा सड़कों और पुलों के विस्तार का सपना 2025 में धरातल पर उतरता दिखा। शहर और आसपास के इलाकों में सड़कों एवं पुलों का जाल बिछने से आवागमन आसान हुआ और विकास को नई रफ्तार मिली। गंगजला ढाला पर लाइट ओवरब्रिज का निर्माण भी इसी कड़ी में एक अहम कदम साबित हुआ, जिसने ट्रैफिक जाम की समस्या को काफी हद तक कम किया।

नगर आयुक्त प्रभात कुमार झा के सहरसा आगमन के बाद नगर प्रशासन में नई सक्रियता देखने को मिली। स्वच्छता, बुनियादी ढांचे और नगर प्रबंधन से जुड़े कार्यों में तेजी आई। इसी वर्ष सहरसा जंक्शन ने भी नया रूप लिया। रेलवे स्टेशन का उन्नयन और बेहतर सुविधाओं ने यात्रियों के अनुभव को काफी हद तक बदल दिया और सहरसा को एक आधुनिक रेल केंद्र के रूप में स्थापित किया।

कुल मिलाकर, साल 2025 सहरसा के लिए सिर्फ एक कैलेंडर वर्ष नहीं बल्कि विकास, बदलाव और नई उम्मीदों का प्रतीक बनकर सामने आया है। यह वर्ष साबित करता है कि मजबूत प्रशासनिक इच्छाशक्ति और जनप्रतिनिधियों के सामूहिक प्रयास से किसी भी शहर की तस्वीर बदली जा सकती है।

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