सहरसा, बिहार: सहरसा रेलवे स्टेशन का नया भवन अब केवल एक यात्री सुविधा केंद्र नहीं, बल्कि मिथिला की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रतीक बनने जा रहा है। इस भवन की दीवारें मिथिला पेंटिंग से सजाई जा रही हैं, जो यात्रियों को पारंपरिक कला-संस्कृति की झलक देने के साथ-साथ क्षेत्र की ऐतिहासिक पहचान को भी संजोएंगी।
इस अनोखी कला परियोजना का नेतृत्व पद्मश्री सम्मानित प्रसिद्ध मिथिला चित्रकार शिवम पासवान कर रहे हैं। उनके साथ मिथिला की कला की कई दिग्गज हस्तियां भी योगदान दे रही हैं, जिनमें पद्मश्री शांति देवी, राज्य पुरस्कार विजेता कमलदेव पासवान, ज्वालामुखी देवी, सुरेश पासवान, रेणु देवी, उमेश पासवान, आरती देवी, कर्ण कुमार, सौरभ कुमार, सुमन कुमार, अर्चना झा, आशा देवी, संजय पासवान, रूना देवी, ज्योति कुमारी और सुरुचि कुमारी जैसे नाम शामिल हैं।
दर्शाई जा रही हैं ऐतिहासिक और पौराणिक झांकियां
भवन की दीवारों पर आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र की वैदिक शास्त्रार्थ, राजा दशरथ, राम-सीता सहित कई पौराणिक और ऐतिहासिक प्रसंगों की कलाकृतियां उकेरी जा रही हैं। राज्य पुरस्कार विजेता कमलदेव पासवान ने बताया कि इन चित्रों के माध्यम से सहरसा की ऐतिहासिक धरोहर, प्राचीन मंदिर, छठ पर्व, उग्रतारा पीठ, सूर्य मंदिर, मत्स्यगंधा, और रक्त काली चौसठ मंदिर जैसे सांस्कृतिक केंद्रों की झलक भी दी जाएगी।
25 जून तक कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य
इस कला-संस्कारित भवन का निर्माण अमृत भारत योजना के अंतर्गत किया गया है। रेलवे प्रशासन ने इसे स्थानीय संस्कृति को सहेजने और प्रचारित करने के उद्देश्य से एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इस परियोजना को 25 जून 2025 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस पहल से जहां एक ओर स्टेशन की खूबसूरती बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर मिथिला पेंटिंग को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी। साथ ही, सहरसा आने-जाने वाले यात्रियों को मिथिला की सांस्कृतिक गरिमा और गौरव से परिचित होने का अवसर भी प्राप्त होगा।
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