जब किसी ने खुद दर्द झेला हो, और फिर किसी अजनबी के लिए वही राहत बन जाए—तो वह सिर्फ एक नागरिक नहीं, बल्कि समाज का आदर्श बन जाता है। सहरसा के वरिष्ठ पत्रकार श्रुति कान्त ने ठीक ऐसा ही करके दिखाया है। उन्होंने न केवल स्वेच्छा से रक्तदान किया, बल्कि मानवता, सेवा और संकल्प की एक नई मिसाल पेश की।
🩸 सेवा तक का सफर
कुछ दिन पहले श्रुति कान्त प्लेटलेट्स की गंभीर कमी से जूझ रहे थे। स्वास्थ्य संकट के उस कठिन दौर में उन्होंने महसूस किया कि रक्तदाता ही किसी की ज़िंदगी का आख़िरी सहारा हो सकता है। इलाज के दौरान उन्हें लगातार विभिन्न माध्यमों से रक्तदान की अपीलें और संदेश मिलते रहे। इन संदेशों ने उनके भीतर के मानवीय भाव को इस कदर झकझोरा कि जैसे ही उन्होंने स्वास्थ्य लाभ पाया, खुद को रोक न सके और रक्तदान कर दिया।
🧠 प्रेरणात्मक विचार:"जब आप खुद दर्द से गुज़र चुके हों, तो दूसरों के ज़ख्म भरना आपका धर्म बन जाता है।""अगर एक बूंद खून से किसी की ज़िंदगी बच सकती है, तो इससे बड़ा पुण्य और क्या हो सकता है?"
✍️ पत्रकारिता का असली चेहरा
श्रुति कान्त ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि पत्रकारिता केवल खबर देने का नहीं, बल्कि समाज के साथ खड़ा होने का कार्य है। उन्होंने न सिर्फ रक्तदान किया, बल्कि युवाओं और आम नागरिकों को भी इस सेवा में भाग लेने की प्रेरणा दी।
💡 प्रेरणात्मक विचार:"कलम की ताकत तब और बढ़ जाती है जब वो समाज के साथ धड़कती है।""सच्चा पत्रकार वही है जो खबरों से नहीं, कर्मों से समाज को दिशा दिखाए।"
🔥 समाज के लिए एक संदेश
श्रुति कान्त की इस पहल के बाद न सिर्फ युवाओं में उत्साह देखा गया, बल्कि कई संगठनों ने उन्हें "रक्तदान प्रेरक" के रूप में सम्मानित करने की योजना भी बनाई है। सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया।
🌱 प्रेरणात्मक विचार:"बदलाव लाने के लिए बड़ी बातें नहीं, छोटे कदम भी काफी हैं।""आपका छोटा सा प्रयास किसी की पूरी दुनिया बदल सकता है।"
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