सहरसा शहर के संत नगर निवासी प्राधानाध्यापक राजीव रंजन और गृहिणी रूपम कुमारी के पुत्र अर्पित रंजन ने मात्र 17 वर्ष की आयु में एक ऐसा कदम उठाया है, जो अक्सर बड़े-बड़े लोग भी सोच नहीं पाते। 12वीं के छात्र अर्पित ने ‘अर्पण’ नामक पुस्तक लिखकर समाज सेवा, सहयोग और सकारात्मक बदलाव का संदेश देने की अनोखी पहल की है।
पुस्तक अमेजॉन और गूगल बुक पर उपलब्ध है और एक महीने में इसे 100 से अधिक पाठकों ने 5 स्टार रेटिंग के साथ सराहा। JEC पब्लिकेशन द्वारा अर्पित को अटलेनर्स अवॉर्ड 2025 में ‘इमर्जिंग राइटर ऑफ़ द ईयर’ के रूप में सम्मानित किया गया।
पुस्तक में अर्पित ने अपने शहर, समाज और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति गहरी संवेदनशीलता दिखाई है। कहानी के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया है कि त्योहार केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि समाज में प्रेम, सहयोग और परिवर्तन की लहर लाने का अवसर हैं। साथ ही पुस्तक में यह बताया गया है कि युवा अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाकर शहर और समुदाय को बेहतर बना सकते हैं।
अर्पित की सोच और उनके कदम ने न केवल सहपाठियों को प्रभावित किया है, बल्कि स्थानीय लोगों में भी उनकी पहल चर्चा का विषय बनी हुई है। कई लोगों ने उनकी इस कोशिश को सराहा और उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
अर्पित के शिक्षकों और नागरिकों का कहना है कि इतनी कम उम्र में समाज सेवा की भावना जागृत होना स्वयं में प्रेरणादायक उदाहरण है। अर्पित रंजन की यह पुस्तक युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रही है और यह साबित करती है कि उम्र छोटी हो सकती है, लेकिन सोच और संकल्प बड़े बदलाव ला सकते हैं।
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